Monday 7 May 2012

रुदन

खुद पे शर्म, आये शर्म
हुए दुश्मन, खुद के हम
बैरी मन, है शन्न
सुन के रुदन, तेरी रुदन....!


आँगन के फूल, को क्यों गए भूल
तोड़ के फेंका, मानो थी शूल
हुआ ना गम, काटते अपना ही तन
बैरी मन, है शन्न
सुन के रुदन, तेरी रुदन....!


वक़्त थमा, जो हुई कातिल माँ
वो कैसा पिता, ना मिले क्षमा
मिल के सब जन, सुरु करो रण
बैरी मन, है शन्न
सुन के रुदन, तेरी रुदन....!

Friday 4 May 2012

ये हालातें, तेरी भी होंगी शायद....!

ह्म्म्मम्म्म्म....
रुंध गयीं आँखें,
याद आयीं बातें,
तेरी मेरी बातें,
ये हालातें...
तेरी भी होंगी शायद....!

ह्म्म्मम्म्म्म...
तस्वीर तेरी,
आँखों में मेरी
बस सी गयी है,
चाहें भी तो ना जाते...
ये हालातें...
तेरी भी होंगी शायद....!

ह्म्म्मम्म्म्म...
सुनता हूँ तुझको,
बिन तेरे बोले,
आवाज़ तेरी,
लगे गीत गाते...
ये हालातें...
तेरी भी होंगी शायद....!

ह्म्म्मम्म्म्म...
खल सी रही है,
तुझसे जुदाई,
गहरी होती खायी,
खुद ही भर जाते...
ये हालातें...
तेरी भी होंगी शायद....!


ह्म्म्मम्म्म्म...
प्यार नहीं जानू,
इश्क ना पहचानू,
तुझको अपना मानु,
फिरूं दिल में छुपाते...
ये हालातें...
तेरी भी होंगी शायद....!

ह्म्म्मम्म्म्म...
खुद से पूछता हूँ,
क्यूँ तुझको ढूंढता हूँ,
दिल कहना चाहे,
जुबां कह ना पाते...
ये हालातें...
तेरी भी होंगी शायद....!

ह्म्म्मम्म्म्म...
रुंध गयीं आँखें,
याद आयीं बातें,
तेरी मेरी बातें,
ये हालातें...
तेरी भी होंगी शायद....!