Friday 1 September 2023

जानवर

जो तोल मोल के खर्चता था अपनी हर बात
जिसे महसूस होते थे दुनिया भर के जज्बात
जिससे किसी की कोई अनबन नहीं थी
जिसकी छुअन में कोई चुभन नहीं थी
 
वो इंसान अब धीरे धीरे बदलने लगा है
अपनों का साथ भी परायों सा लगने लगा है
जो ना थी उसके अंदर वो ज़हर उगलने लगा है
अजीब सी नफरत महसूस करने लगा है

हवा दे इस नफरत की आग को या इसे बुझाए
उगलता रहे इस ज़हर को या खुद निगल जाए?  
यूँहीं चलती रही जिंदगी तो शायद हीं उबर पाए,
डर बस ये है कहीं पूरी तरह जानवर ना बन जाए।