Friday 12 December 2014

तूने नज़रें फेरी थी

दिल में जो लगी आग तो माचिस तेरी थी,
पानी था तेरे पास पर तूने नज़रें फेरी थी ।

तेरी आग ने दिल की परतें उधेरी थी,

मैं जलता रहा गलती मेरी थी ।

सूखे ज़ख्मों ने निशाँ कुछ यूँ उकेरी थी,

दिल की दीवारें काली घुप्प अँधेरी थी ।

सन्नाटे में यादों ने चिंगारी बिखेरी थी,

फ़फ़क उठती बस हवा देने की देरी थी ।

दिल में जो लगी आग तो माचिस तेरी थी,

पानी था तेरे पास पर तूने नज़रें फेरी थी ।

Wednesday 10 December 2014

क़िस्मत

वो कलम ढूंढ़ रहा हूँ..

जो क़िस्मत लिखती है,

ढूंढ़ के उसे तोड़ दूंगा मैं !!!! 

Friday 26 September 2014

मस्त रहता हूँ...

कुछ भीड़ के दीवाने होते हैं,
मैं तन्हाइयों में भी मस्त रहता हूँ,

कुछ बड़े फनकार होते हैं,
मैं शहनाईओं में भी मस्त रहता हूँ,

कुछ को नींद पसंद है,
मैं अंगडाईओं में भी मस्त रहता हूँ,

कुछ को ऊंचाई पसंद है,
मैं खाइयों में भी मस्त रहता हूँ,

कुछ को वफ़ा मिलती है,
मैं बेवफाइयों में भी मस्त रहता हूँ,

कुछ को प्यार पसंद है,
मैं रुसवाइयों में भी मस्त रहता हूँ..