Friday 12 December 2014

तूने नज़रें फेरी थी

दिल में जो लगी आग तो माचिस तेरी थी,
पानी था तेरे पास पर तूने नज़रें फेरी थी ।

तेरी आग ने दिल की परतें उधेरी थी,

मैं जलता रहा गलती मेरी थी ।

सूखे ज़ख्मों ने निशाँ कुछ यूँ उकेरी थी,

दिल की दीवारें काली घुप्प अँधेरी थी ।

सन्नाटे में यादों ने चिंगारी बिखेरी थी,

फ़फ़क उठती बस हवा देने की देरी थी ।

दिल में जो लगी आग तो माचिस तेरी थी,

पानी था तेरे पास पर तूने नज़रें फेरी थी ।

Wednesday 10 December 2014

क़िस्मत

वो कलम ढूंढ़ रहा हूँ..

जो क़िस्मत लिखती है,

ढूंढ़ के उसे तोड़ दूंगा मैं !!!!