Sunday 26 November 2017

तेरे हुश्न के सुहाने से सफ़र पे हूँ..


तेरी हर अदा.. तेरे हर अंदाज,
के जानने हैं मुझे सब राज,
देखना है मुझे वो सब..
है जिस जिस पे तुझे नाज़,
आज न कर कोई रोक टोक..
है यहाँ कोई नहीं.. मैं तेरे घर पे हूँ.
तेरे हुश्न के सुहाने से सफ़र पे हूँ,
सिर से पाँव तक जाना है अभी कमर पे हूँ !


ना रहे हमदोनों एक दूसरे से अनजाने,
दिखा दे मुझे तू अपने सारे खजाने..
ला एक एक गहना मैं पहचान लूं,
तेरे हाथों को अपने हाथों में थाम लूं..
ना रख दरम्यान कोई बंदिश..
खोल दे सारे दरवाजे.. मैं तेरे दर पे हूँ,
तेरे हुश्न के सुहाने से सफ़र पे हूँ,
सिर से पाँव तक जाना है अभी कमर पे हूँ !

Friday 3 November 2017

फिर नींद आ गई मेरी कोशिशों को

वो रात भर यादें छूती रहीं..
मेरे जहन के हर हिस्सों को,
सुबह तक कोशिश की सोने की..
फिर नींद आ गई मेरी कोशिशों को !!

हकीकत को हौसला है अब भी.. होंगे ख्वाब पूरे..
चमकती है आँखे हर मोड़ पे.. जाने किस्सा कब मुड़े,
कहानी हमारी भी शुरू हो जाए इस बार बस..
जाने क्यों भरोसा है अब भी ये मेरे ख्वाहिशों को !
सुबह तक कोशिश की सोने की..
फिर नींद आ गई मेरी कोशिशों को !!

छोडती नहीं मेरी उम्मीदें दामन तेरे ख्यालों का..
जैसे बंद हूँ मैं तुझमे.. बे-चाभी के तालों सा,
कॉन्क्रीट के दीवारों पे भी तू साफ़ दिखती है,
बता क्या करूँ मैं इन ना फूटने वालें शीशों को?
सुबह तक कोशिश की सोने की..
फिर नींद आ गई मेरी कोशिशों को !!

Tuesday 24 October 2017

इश्क मधुमक्खी है


बहोत मीठी सी थी.. एक बार जो मैंने चक्खी है,
डंक मारती है.. शहद उगलती है.. इश्क मधुमक्खी है !

आँखों से शुरू हो कर दिल तक पहुचती है..
फिर दिल पे अपना कब्जा सा जमा लेती है,
पहले अपने काबू में करती है..
और फिर बेकाबू सा बना देती है,

ये पता हीं नहीं चलता के कौन अच्छा है..
जो इसके साथ है या जिसने इससे दुरी बना रक्खी है !
बहोत मीठी सी थी.. एक बार जो मैंने चक्खी है,
डंक मारती है.. शहद उगलती है.. इश्क मधुमक्खी है !!

इसके आगोश में आ के फिर निकलना मुश्किल..
गिरना तो आसान इसमें.. पर सम्हलना मुश्किल,
दस्तूर-ए-इश्क है ऐसा कह गया ग़ालिब..
डूबना इसमें आसान पर डूब के निकलना मुश्किल !

जब तक इसमें ना डूबे कुछ पता नही चलता..
मानो ये दरिया-ए-इश्क किसी ने ढक्कन से ढक्की है !
बहोत मीठी सी थी.. एक बार जो मैंने चक्खी है,
डंक मारती है.. शहद उगलती है.. इश्क मधुमक्खी है !!

Saturday 21 October 2017

चहुँओर दिखे मोहे प्यार

तू गंगा सी बहती रहे..
मैं गोमुख काशी पटना हो जाऊं,
तेरी छोटी छोटी अंखियों का..
मैं एकलौता सपना हो जाऊं !
तेरे बिन लागे हर पल उबाऊ,
तेरा साथ लगे त्यौहार..
चहुँ ओर दिखे मोहे प्यार प्यार, चहुँ ओर दिखे मोहे प्यार..
रब ने जोड़ा ये तार तार, चहुँ ओर दिखे मोहे प्यार !

तू सुबह के सूरज की रश्मियाँ..
हलके हलके छिटकती रहे,
मैं बन के बादल कहीं से आऊँ..
और तू मुझमे सिमटती रहे !
तुम हो तो सारे मौसम,
तेरे बिन आसमां अंधियार..
चहुँ ओर दिखे मोहे प्यार प्यार, चहुँ ओर दिखे मोहे प्यार..
रब ने जोड़ा ये तार तार, चहुँ ओर दिखे मोहे प्यार !

तू हीं राधा तू हीं रुक्मिणी..
और मैं तेरा कृष्ण हो जाऊं,
तू ना हो साथ मेरे तो..
मैं भीष्म हो जाऊं,
तू रहे तो मैं रहूँ,
तू नहीं तो न हो मेरा अवतार..
चहुँ ओर दिखे मोहे प्यार प्यार, चहुँ ओर दिखे मोहे प्यार..
रब ने जोड़ा ये तार तार, चहुँ ओर दिखे मोहे प्यार !

मोहब्बत बस मोहब्बत है..


जो मोहब्बत नींद उड़ाए तो..
फिर कभी आशिक़ नहीं सोता,
मोहब्बत बस मोहब्बत है..
ये कम या फिर ज्यादा नहीं होता !


ऊपर से तुम इसके असर को..
गलत चाहे जितना भी कह लो,
भीतर से तेरा इसके बिना..
एक पल भी गुजारा नहीं होता !
 

पहले पहल तो तू भागता है..
पीछे इस मोहब्बत के,
फिर एक दौर आता है..
तू इससे नाता छुड़ा नहीं पाता !


हो कोई कितना भी खूबसूरत..
अदाएं कितनी भी दिखाए वो,
जो भा गया एक बार दिल को..
कोई दूसरा उसे नहीं भाता !