दिल में जो लगी आग तो माचिस तेरी थी,
पानी था तेरे पास पर तूने नज़रें फेरी थी ।
तेरी आग ने दिल की परतें उधेरी थी,
मैं जलता रहा गलती मेरी थी ।
सूखे ज़ख्मों ने निशाँ कुछ यूँ उकेरी थी,
दिल की दीवारें काली घुप्प अँधेरी थी ।
सन्नाटे में यादों ने चिंगारी बिखेरी थी,
फ़फ़क उठती बस हवा देने की देरी थी ।
दिल में जो लगी आग तो माचिस तेरी थी,
पानी था तेरे पास पर तूने नज़रें फेरी थी ।
पानी था तेरे पास पर तूने नज़रें फेरी थी ।
तेरी आग ने दिल की परतें उधेरी थी,
मैं जलता रहा गलती मेरी थी ।
सूखे ज़ख्मों ने निशाँ कुछ यूँ उकेरी थी,
दिल की दीवारें काली घुप्प अँधेरी थी ।
सन्नाटे में यादों ने चिंगारी बिखेरी थी,
फ़फ़क उठती बस हवा देने की देरी थी ।
दिल में जो लगी आग तो माचिस तेरी थी,
पानी था तेरे पास पर तूने नज़रें फेरी थी ।