मैंने उसे देखा या उसने मुझे देखा,
बीच में खिंची थी एक लछमन रेखा !
उसने नज़रों से कुछ ऐसे फेका,
की घायल होके सबने देखा !
आरजूएं अंगार बन गयी,
वो इस आरज़ू-ए-समंदर की पतवार बन गयी !
हम बहते चले गए और पता भी न चला,
इसमें हमारी गलती क्या थी भला??
पर ज़माने की कारिस्तानी देखो,
सबने हमी को कहा नज़रें नीची रखो !
हमने कहा तुम खूबसूरत हो इसमें तेरी क्या गलती??
और हम खूबसूरती पसंद इसमें मेरी क्या गलती??
:)
cool
ReplyDeleteआभार बहुत बहुत...
ReplyDeleteनरेश सर.:)
पर ज़माने की कारिस्तानी देखो,
ReplyDeleteसबने हमी को कहा नज़रें नीची रखो !
.... ..
हमने कहा तुम खूबसूरत हो इसमें तेरी क्या गलती??
और हम खूबसूरती पसंद इसमें मेरी क्या गलती??
..dekhne dekhne mein frak jo hota hai.....
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manobhavon ko badiya prastuti