गण गण गण गण गणतंत्र
पढो पढाओ देश का मंत्र
सैतालिश में हुए स्वतंत्र
दुनिया भर में ढूंढा मंत्र
कांट-छांट और जोड़-तोड़ के,
लिखा संवैधानिक ग्रन्थ
लिख-लिख के सब लम्बे हो गए,
देश के नेता निकम्मे हो गए
देश बन गया शेकुलर
आरक्षण धर्म-जात पर
लोकतंत्र बस है एक यन्त्र
जो छापे बस कालाधन
गण गण गण गण गणतंत्र
पढो पढाओ देश का मंत्र
सटीक पंक्तियाँ ...जो होना था उससे कुछ उल्ट ही हुआ है ...हो रहा है
ReplyDeleteबहुत अच्छी रचना...! बधाई
ReplyDeleteरचना के भाव बहुत अच्छे हैं।
ReplyDeleteबेहतरीन सार्थक रचना,लाजबाब प्रस्तुतीकरण,
ReplyDeletemy new post...40,वीं वैवाहिक वर्षगाँठ-पर...
आपने कमेन्ट बाक्स से वर्डवेरीफिकेसन हटा ले कमेन्टस देने में समय बर्बाद एवं परेशानी होती है,
ReplyDeleteमै समर्थक बन गया हूँ आप भी बने मुझे खुशी होगी,....आभार