फटे होठ तेरे
जिस्म चर्वी भरा,
लगे टुनटुन सा मुझे तन तेरा ।
जम के गुस्सा हो
सामने जब आए,
रुके मेरी सांस
आए उससे बास..!
कभी मेरे साथ
जो तु निकले बाजार,
तो लोग कहेऽऽ
Dips है लाचार ।
ओ हो होऽऽऽऽ
:p8-)
जिस्म चर्वी भरा,
लगे टुनटुन सा मुझे तन तेरा ।
जम के गुस्सा हो
सामने जब आए,
रुके मेरी सांस
आए उससे बास..!
कभी मेरे साथ
जो तु निकले बाजार,
तो लोग कहेऽऽ
Dips है लाचार ।
ओ हो होऽऽऽऽ
:p8-)
ग़ज़ब की कविता ... कोई बार सोचता हूँ इतना अच्छा कैसे लिखा जाता है
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