Monday, 6 February 2012

हाइकू में पहला हाथ !!



हाइकू में पहली बार अपनी लेखनी चला रहा हूँ,
आप पढ़ें और बताएं कैसी है....!!



शव्द मेरे हैं
तेरे लिए कहें है
सुन ले जरा


मै सूर्योदय
तुम सुबह मेरी
ना हो शाम


महके इत्र
गर हो तेरा जिक्र 
बहक जाऊं


मन मोहिनी
चंचल चितवनी 
मृगनयनी


कैसे भुलाएँ 
चंचल चितवन
नैनों में बसी


तेरी तलाश
पनघट पे प्यास
तू होती काश 


इश्क का युद्ध
दिल है तलवार
कर दे  वद्ध


मोर का नाच
प्रीत के बसंत में 
मनभावन


इश्क में दूरी
है बड़ी नागवार
कैसे हो प्यार


इश्क का दिन
वेलनटाइन डे
बाकी दिन क्या?


इश्क हो रोज 
हारेगी नफरत
जीतेगा प्यार


(हिंदी साहित्य की अनेकानेक विधाओं में 'हाइकू' नव्यतम विधा है। हाइकु मूलत: जापानी साहित्य की प्रमुख विधा है। आज हिंदी साहित्य में हाइकु की भरपूर चर्चा हो रही है। हिंदी में हाइकु खूब लिखे जा रहे हैं और अनेक पत्र-पत्रिकाएँ इनका प्रकाशन कर रहे हैं।
हाइकु सत्रह (१७) अक्षर में लिखी जाने वाली सबसे छोटी कविता है। इसमें तीन पंक्तियाँ रहती हैं। प्रथम पंक्ति में ५ अक्षर, दूसरी में ७ और तीसरी में ५ अक्षर रहते हैं। संयुक्त अक्षर को एक अक्षर गिना जाता है, जैसे 'सुगन्ध' में तीन अक्षर हैं - सु-१, ग-१, न्ध-१) तीनों वाक्य अलग-अलग होने चाहिए। अर्थात एक ही वाक्य को ५,७,५ के क्रम में तोड़कर नहीं लिखना है। बल्कि तीन पूर्ण पंक्तियाँ हों।)

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