Friday, 3 February 2012

ये विकास जातिवाद का करते हैं...!!


कहीं अगड़ी के मतवाले,
कहीं पिछड़ी के रखवाले,
ये विकास जातिवाद का करते हैं,
और खुद करते हैं घोटाले...


दलित, पिछड़ा, अतिपिछडा,
और करोगे कितना टुकरा,
अब तो समझो आरक्षण की चालें..
ये विकास जातिवाद का करते हैं,
और खुद करते हैं घोटाले...


हरिजन कहते गाँधी गए,
आरक्षण कहते आंबेडकर,
60 साल हुए कुछ नहीं बदला
अभी तक क्यूँ हो इनको सम्हाले...
ये विकास जातिवाद का करते हैं,
और खुद करते हैं घोटाले...


मंडल कमंडल बड़े विद्वान्,
OBC बाट के हुए महान,
किसी के लिए रास्ते चौड़े कर दिए
और किसी लिए संकीर्ण बना डाले...
ये विकास जातिवाद का करते हैं,
और खुद करते हैं घोटाले...


संविधान ने दिया समानता का अधिकार,
फिर ये आरक्षण का कैसा विकार,
वक़्त रहते सम्हल जाओ
कहीं कोई फायदा न उठा ले...
ये विकास जातिवाद का करते हैं,
और खुद करते हैं घोटाले...


गरीबी जात देख के नहीं आती है,
तो आरक्षण जातियों की क्यूँ की जाती है,
अमीर पिछड़ी जाती के लोग हस्ते हैं,
और संविधान की गलतियों पे फव्तियाँ कसते है,
कोई तो इन गलतियों को मिटा ले...
ये विकास जातिवाद का करते हैं,
और खुद करते हैं घोटाले...


सुना है इस धर्मनिरपेक्ष देश में अब धर्म के नाम पे आरक्षण होंगें,
फिर तो शर्तीया देश के कुछ और टुकरे होंगे,
तब हम मिल के इन टुकरो से खेलेंगे खेल मरने-मारने वाले...
अब भी सम्हल जाओ...
ये विकास जातिवाद का करते हैं,
और खुद करते हैं घोटाले...

4 comments:

  1. आखिर कब तक ये वोट की राजनीत चलेगी,
    बहुत बढ़िया भाव लिए रचना,सुंदर प्रस्तुति..

    NEW POST..फुहार..कितने हसीन है आप...

    ReplyDelete
  2. आगामी शुक्रवार को चर्चा-मंच पर आपका स्वागत है
    आपकी यह रचना charchamanch.blogspot.com पर देखी जा सकेगी ।।

    स्वागत करते पञ्च जन, मंच परम उल्लास ।

    नए समर्थक जुट रहे, अथक अकथ अभ्यास ।



    अथक अकथ अभ्यास, प्रेम के लिंक सँजोए ।

    विकसित पुष्प पलाश, फाग का रंग भिगोए ।


    शास्त्रीय सानिध्य, पाइए नव अभ्यागत ।

    नियमित चर्चा होय, आपका स्वागत-स्वागत ।।

    ReplyDelete
  3. ये विकास जातिवाद का करते हैं,
    और खुद करते हैं घोटाले...
    सशक्त उम्दा रचना......!

    ReplyDelete
  4. भारतीय राजनीति को कठघरे में खड़ा करती एक बेहतरीन रचना।

    ReplyDelete