Monday 16 January 2012

टायटेनिक रिटर्न्स


एक  रोज़ 
लेके Rose 
पहुंचा  Rose के  घर,
कहा  चल  तेरे  लिए  नयी  टायटेनिक  बनबाई  है,
डर  कैसा!
तेरा तो ना  कोई  मंगेतर  है  ना  भाई  है...








चल  कोई  नयी  पेंटिंग  करेंगे,
कोई  कोना  देख  कर  डेटिंग करंगे...


Rose बोली  ना  बाबा  ना  फिर  से  डूब  गयी  तो???
तुम  तो  निकल  लोगे 
और  एक  सुन्दर  लड़की  को  लकड़ी  पे  तैरता  छोड़  दोगे ...


स्वीटहार्ट  क्या  कह  रही  हो 
बिना  मतलब  के  डर  रही  हो...


वो  भुत  की  कहानी  थी 
और  ये  बर्तमान  की  रवानी  है 
वो  दुनिया  सुनाती  है 
और  यहाँ  हमें  खुद  निभानी  है...


चल  डर  के  आगे  जीत  है,
तेरी  मेरी  प्रीत   है 
प्यार  किया  तो  डरना  क्या 
तू  मेरी  मनमीत  है...


अगर  ऐसा  है  तोह  फिर  ठीक  है,
और  क्या  बहाना  करूँ  तू  बरा  ढीठ  है ...


पर  एक  बात  बता  समंदर  की  गहराई  कितनी  होती  है??
क्या  कहू, उससे  ज्यादा  गहरी  तो  तेरी  आँखों  की  ज्योति  है...
तुझे  तो  मै  बचा  लूँगा, मुझे  कौन  बचाएगा??
आँखे  बंद  मत  करना  सारा  जमाना  थम  जाएगा...


कितनी  प्यारी  बातें  करते  हो,
तुम  शाहरुख़  खान  से  लगते  हो...


क्यूँ  बेबजह  शाहरुख़  को  बुला  रही  है,
सलमान  का  दुश्मन  बना  रही  है
वो  यहाँ  आ  गया  तो  गजब  हो  जायेगा,
तुझे  भी  कुछ  दिन  का  गर्ल फ्रेंड  बनाएगा,
और  मेरा  पत्ता  कट  जाएगा....:(


टेंशन  मत  ले  मै  तो  मज़ाक  कर  रही  थी,
तेरे  दिल  के  हालत  पढ़  रही  थी,


पढाई  बहुत  हुई  चलो  अब  चलते  हैं,
टायटेनिक की  राह  पकड़ते  हैं....


ओके  चलो  मैं  तैयार  हूँ,
तेरे  साथ  चलने  को  बेकरार  हूँ,


बेकरारी  को  बिलकुल   कम  मत  होने  दो,
और  कार  की  अगली  सीट  पे  बैठो..


वैसे  तो  मुझे  कार  चलाना  बिलकुल  नहीं  आता  है,
पर  कविता  मेरी  तो  CREADIT भी  मुझको  ही  जाता  है...


चाभी  डाली  कार  में  और  क्लच  गेयर  ब्रेक  सब  कुछ  चला  दिया,
और  एक  सांस  में  ही  बंदरगाह  पे  कार  को  पंहुचा  दिया...


Rose ने  पूछा: ये  बंदरगाह  का  नाम  बंदरगाह  क्यूँ  पड़ा??
मैंने  कहा...
इतना  भी  नहीं  ज्ञान!
ये  है  एक  पौराणिक  नाम,
इसके  माध्यम  से  बंदरों  को  आगाह  किया  जाता  था,
वरना  बेचारा  बन्दर  डूब  जाता  था,
अब  दुनिया  बदल  गयी  है,
बंदरगाह  भी  इंसानों  की  होके  रह  गयी  है......


इतने  में  एक  भोपू  बजा..


ये  शायद  टायटेनिक  के  छूटने  का  इशारा  था,
और  उन्हें  इन्तेजार  बस  हमारा  था...


किसी  तरह  भागे  भागे  टायटेनिक   पे  सवार  हो  गए,
लहरों  पे  तैरने  को  तैयार  हो  गए....



To be continued ...:)

5 comments:

  1. वाह!
    बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति।

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  2. बहुत सुंदर रचना,बेहतरीन पोस्ट....राजन जी बहुत बढ़िया
    welcome to my new post...वाह रे मंहगाई...

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  3. राजन जी, कमेन्ट बाक्स से वर्ड वेरीफिकेसन हटा ले कमेंट्स देने में
    परेशानी होती है,.....

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