Wednesday 25 January 2012

~~गण गण गण गण गणतंत्र~~




गण गण गण गण गणतंत्र
पढो पढाओ देश का मंत्र


सैतालिश में हुए स्वतंत्र
दुनिया भर में ढूंढा मंत्र


कांट-छांट और जोड़-तोड़ के,
लिखा संवैधानिक ग्रन्थ


लिख-लिख के सब लम्बे हो गए,
देश के नेता निकम्मे हो गए


देश बन गया शेकुलर
आरक्षण धर्म-जात पर


लोकतंत्र बस है एक यन्त्र
जो छापे बस कालाधन


गण गण गण गण गणतंत्र
पढो पढाओ देश का मंत्र

5 comments:

  1. सटीक पंक्तियाँ ...जो होना था उससे कुछ उल्ट ही हुआ है ...हो रहा है

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  2. बहुत अच्छी रचना...! बधाई

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  3. रचना के भाव बहुत अच्छे हैं।

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  4. बेहतरीन सार्थक रचना,लाजबाब प्रस्तुतीकरण,

    my new post...40,वीं वैवाहिक वर्षगाँठ-पर...

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  5. आपने कमेन्ट बाक्स से वर्डवेरीफिकेसन हटा ले कमेन्टस देने में समय बर्बाद एवं परेशानी होती है,
    मै समर्थक बन गया हूँ आप भी बने मुझे खुशी होगी,....आभार

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