Saturday 7 July 2012

ए मह्जवीं...

सोयी सोयी आँखें,
सपनो में झांके
जरा आके,
रात सजा दे
इस रात को कर दे रंगीन..... मह्जवीं !
कोई बात तू कर दे हसीं.... मह्जवीं !!

तेरी मेरी बातें,
और रातें
बड़ी दिलकश लगे हर दिन... मह्जवीं
ना रह सकूँ तेरे बिन.... मह्जवीं
इस रात को कर दे रंगीन..... मह्जवीं !
कोई बात तू कर दे हसीं.... मह्जवीं !!

तेरे संग आके,
जन्नत सा लागे
कोई जन्नत की तू जानशीन.... मह्जवीं
मै तो तेरा हो गया हाजरीन... मह्जवीं
इस रात को कर दे रंगीन..... मह्जवीं !
कोई बात तू कर दे हसीं.... मह्जवीं !!

6 comments:

  1. बहुत अच्छी प्रस्तुति!
    इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (08-07-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
    सूचनार्थ!

    ReplyDelete
  2. कोई बात तू कर दे हसीं.... ए मह्जवीं !!
    bahut hi khubsurat ahsaas..

    ReplyDelete
  3. बहुत सुन्दर...

    ReplyDelete
  4. तुमको देखा है जब से आँखों ने
    और कोई चेहरा नजर नहीं आता
    तुम हर नजर का ख़्वाब हो,
    हर दिल की धडकन हो
    कैसे तारीफ करता तुम्हारे हुस्न की
    तुम्हारा चेहरा तो किताबी है,
    कहाँ से आया इतना हुस्न....
    जबाब में वे मुस्करा दिए और बोले-?
    कुछ तो आपकी मोहब्बत का नूर है
    कुछ कोशिश हमारी है,,,,,

    समर्थक बन गया हूँ आप भी बने मुझे खुशी होगी ,,,,,,
    RECENT POST...: दोहे,,,,

    ReplyDelete
  5. बहुत अच्छी रचना

    ReplyDelete
  6. अहसासों का सजीव विवरण।

    ReplyDelete