Friday, 1 May 2015

क्या तुम वही हो.....






4 comments:

  1. प्रेम में होता है कई बार ऐसा ... पर रूठे मान भी जाते हैं ...

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  2. सुन्दर व सार्थक प्रस्तुति..
    शुभकामनाएँ।
    मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।

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  3. प्रेम का यही रूप तो वास्तविक प्रेम कहलाता है
    वाह बहुत खूब

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  4. बहुत ही सार्थक रचना।

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