Friday, 15 May 2015

मैं फूल तू बागीचा..


तेरे दिल के बागीचे में
वहीँ पे कहीं हाँ नीचे में

मैं गिर गया
गिर के सूख गया

कोई नया खिला
जिसपे तेरा रुख गया

मैं फूल था
तू ज़मीन-ए-बागीचा

मुझे भी था
तुमने प्यार से सींचा

मेरा नसीब था
गिर के तुझमे खो जाना

तेरे नसीब में फूल ही फूल
एक को छोड़ दूसरे का हो जाना !!!! :|

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