वो हज़ारों मील बह कर नदी समंदरों से मिलती है,
उसे लगता है फूल-ए-इश्क़ बस वहीं जा के खिलती है,
अपना बजूद खो कर जब नदी लहरों के संग उठती हैं,
कई नदियां समंदर के छोर पे मिलती हुई दिखती हैं,
इस बेबफाई पे उसे नदियों का संगम याद आता है,
जो समंदर में मिलने तक उसका साथ निभाता है !!!!
उसे लगता है फूल-ए-इश्क़ बस वहीं जा के खिलती है,
अपना बजूद खो कर जब नदी लहरों के संग उठती हैं,
कई नदियां समंदर के छोर पे मिलती हुई दिखती हैं,
इस बेबफाई पे उसे नदियों का संगम याद आता है,
जो समंदर में मिलने तक उसका साथ निभाता है !!!!
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