Thursday 30 June 2016

नदी और समंदर

वो हज़ारों मील बह कर नदी समंदरों से मिलती है,
उसे लगता है फूल-ए-इश्क़ बस वहीं जा के खिलती है,

अपना बजूद खो कर जब नदी लहरों के संग उठती हैं,

कई नदियां समंदर के छोर पे मिलती हुई दिखती हैं,

इस बेबफाई पे उसे नदियों का संगम याद आता है,

जो समंदर में मिलने तक उसका साथ निभाता है !!!!

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