फिर कभी आशिक़ नहीं सोता,
मोहब्बत बस मोहब्बत है..
ये कम या फिर ज्यादा नहीं होता !
ऊपर से तुम इसके असर को..
गलत चाहे जितना भी कह लो,
भीतर से तेरा इसके बिना..
एक पल भी गुजारा नहीं होता !
पहले पहल तो तू भागता है..
पीछे इस मोहब्बत के,
फिर एक दौर आता है..
तू इससे नाता छुड़ा नहीं पाता !
हो कोई कितना भी खूबसूरत..
अदाएं कितनी भी दिखाए वो,
जो भा गया एक बार दिल को..
कोई दूसरा उसे नहीं भाता !
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (23-10-2017) को
ReplyDelete"मोहब्बत बस मोहब्बत है" (चर्चा अंक 2766)
पर भी होगी।
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
दीपावली से जुड़े पंच पर्वों की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'