तेरी हर अदा.. तेरे हर अंदाज,
के जानने हैं मुझे सब राज,
देखना है मुझे वो सब..
है जिस जिस पे तुझे नाज़,
आज न कर कोई रोक टोक..
है यहाँ कोई नहीं.. मैं तेरे घर पे हूँ.
तेरे हुश्न के सुहाने से सफ़र पे हूँ,
सिर से पाँव तक जाना है अभी कमर पे हूँ !
ना रहे हमदोनों एक दूसरे से अनजाने,
दिखा दे मुझे तू अपने सारे खजाने..
ला एक एक गहना मैं पहचान लूं,
तेरे हाथों को अपने हाथों में थाम लूं..
ना रख दरम्यान कोई बंदिश..
खोल दे सारे दरवाजे.. मैं तेरे दर पे हूँ,
तेरे हुश्न के सुहाने से सफ़र पे हूँ,
सिर से पाँव तक जाना है अभी कमर पे हूँ !
अश्लील है ये लड़का.... लगता है करनी सेना को बुलाना पड़ेगा 😝😝😝😝
ReplyDeleteKaash yeh ladkiyaan inn kavitayon se khush hoti hoti.. kamaar ke niche phuanche toh dusri kavita jarur likhna
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (28-11-2017) को "मन वृद्ध नहीं होता" (चर्चा अंक-2801) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'