Friday, 4 May 2012

ये हालातें, तेरी भी होंगी शायद....!

ह्म्म्मम्म्म्म....
रुंध गयीं आँखें,
याद आयीं बातें,
तेरी मेरी बातें,
ये हालातें...
तेरी भी होंगी शायद....!

ह्म्म्मम्म्म्म...
तस्वीर तेरी,
आँखों में मेरी
बस सी गयी है,
चाहें भी तो ना जाते...
ये हालातें...
तेरी भी होंगी शायद....!

ह्म्म्मम्म्म्म...
सुनता हूँ तुझको,
बिन तेरे बोले,
आवाज़ तेरी,
लगे गीत गाते...
ये हालातें...
तेरी भी होंगी शायद....!

ह्म्म्मम्म्म्म...
खल सी रही है,
तुझसे जुदाई,
गहरी होती खायी,
खुद ही भर जाते...
ये हालातें...
तेरी भी होंगी शायद....!


ह्म्म्मम्म्म्म...
प्यार नहीं जानू,
इश्क ना पहचानू,
तुझको अपना मानु,
फिरूं दिल में छुपाते...
ये हालातें...
तेरी भी होंगी शायद....!

ह्म्म्मम्म्म्म...
खुद से पूछता हूँ,
क्यूँ तुझको ढूंढता हूँ,
दिल कहना चाहे,
जुबां कह ना पाते...
ये हालातें...
तेरी भी होंगी शायद....!

ह्म्म्मम्म्म्म...
रुंध गयीं आँखें,
याद आयीं बातें,
तेरी मेरी बातें,
ये हालातें...
तेरी भी होंगी शायद....!




 

6 comments:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    लिंक आपका है यहीं, मगर आपको खोजना पड़ेगा!
    इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार के चर्चा मंच पर भी होगी!
    सूचनार्थ!

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  2. कोमल अभिव्यक्ति, अति सुंदर

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  3. bahut sundar ,bar bar padhne ko dil karta hai

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  4. सुन्दर भावभीनी अभिव्यक्ति...

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